जैवप्रौद्योगिकी विभाग ने 2007 में एक ‘राष्ट्रीय जैवप्रौद्योगिकी विकास योजना’ बनाई जो ग्यारहवीं योजना के दौरान की जाने वाली गतिविधियों और कार्यक्रमों के लिए निर्देशित करने वाला फ्रेमवर्क है। यह योजना आर एंड डी, निवेश पूंजी के सृजन, प्रौद्योगिकी स्थानांतरण, अंतर्लयन और विसरण, बौद्धिक संपदा व्यवस्था और जैवप्रौद्योगिकी के जन ज्ञान के संदर्भ में अनेक चुनौतियों को बताती है।
डीबीटी ने योजना में निर्धारित अधिकांश लक्ष्यों पर कार्यवाही पूरी कर ली है या आरंभ कर दी है। बायोटैक योजना 2007 ने इसमें एक अंतदृष्टि प्रदान की है कि राष्ट्रीय संदर्भ में क्या काम करता है और क्या काम नहीं करता है।
बायोटैक योजना-प्प् पर मई, 2011 में परामर्श हुए। प्रत्येक क्षेत्र में 200 से अधिक विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने भाग लिया और संस्तुतियां क्षेत्रीय वर्गों के बीच हुए विचार विमर्श पर आधारित हैं।
प्रपत्र को अंतिम रूप देने के लिए 10 मार्च 2014 तक टिप्पणियां प्राप्त की गईं।